प्रिय पाठको मैं यहाँ आपको “हिन्दी साहित्य” से सम्बन्धित नोट्स बनाकर दे रही हूँ। अत: मैं कोशिश कर रही हूँ कि छोटी से छोटी जानकारी हिन्दी साहित्य से सम्बन्धित आप तक पहुँचे । आज मैं ‘इतिहास’ शब्द की उत्पत्ति से लेकर विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं और ” इतिहास लेखन की पद्धतियों” के बारे में बताऊँगी । मेरे द्वारा दी गई जानकारी विभिन्न परिक्षाओं TGT , PGT , ASSITANT PROFESSOR की तैयारी कर रहे छात्रो के काम आएगी।
इतिहास शब्द की व्युत्पत्ति एवं अर्थ
व्युत्पत्ति : – इति + ह + आस ( इति = ऐसा , ह = निश्चित ही , आस = घटित हुआ )
अर्थ : – ऐसा निश्चित ही था / घटित हुआ
हिंदी साहित्य का इतिहास की परिभाषाएँ
। . हेरोडोट्स : – ये विश्व में इतिहास के जनक माने जाते हैं , इनके द्वारा रचित ‘ हिस्टोरिक’ इतिहास की प्राचीनतम पुस्तक है। इन्होंने इतिहास की परिभाषा देते हुए कहा है कि “सत्य घटनाओं का क्रमबद्ध अध्ययन इतिहास है।”
2 . कर्नल जेम्स टाड : – इन्होंने कहा है कि “अतीत की घटनाओं का वर्तमान के संदर्भ में अवलोकन इतिहास है।”
3 . महर्षि वेद व्यास : – वेद व्यास ने संस्कृत में परिभाषा दी है कि ” धर्मार्थकाममोक्षेक्षेेषु उपदेशसमन्वितम् पूूर्व वृत्त सत्याख्यानं इति इतिहासमुच्चयते ।”
4 . चाल्स डार्विन : – इन्होंने इतिहास की परिभाषा विकास वादी दृष्टिकोण से दी है – “सृष्टि का बाह्य विकास उसके आंतरिक विकास का परिणाम है, किसी कार्य के पीछे कुछ निश्चित कारण होते है , इसी कारण – कार्य श्रृंखला को खोजते हुए आंतरिक विकास प्रक्रिया को समझना इतिहास है।”
5 . तेन : – इन्हें आधुनिक इतिहास का जनक माना जाता है, इन्होंनें इतिहास लेखन में जाति , वातावरण , क्षण को विशेष महत्व दिया है। ” किसी जाति विशेष की, वातावरण विशेष से प्रभावित, क्षण विशेष में निर्मित प्रवृत्तियों एवं घटनाओँ का विश्लेषण इतिहास है।”
6 . कार्यालय / कार्लाइल : – इन्होंने कहा है कि ” इतिहास एक ऐसा दर्शन है जो दृष्टातों के माध्यम से शिक्षा देता है।”
7 . डॉ० नगेन्द्र : – नगेन्द्र जी ने लिखा है कि ” बदलती हुई अभिरुचियों का इतिहास साहित्योतिहास है, जिसका सीधा सम्बन्ध आर्थिक क्रियाओं से है।”
8 . आचार्य रामचंद्र शुक्ल : – आचार्य शुक्ल ने परिभाषा दी है कि ” प्रत्येक युग का साहित्य वहाँ की जनता की चित्तवृत्तियों का संचित प्रतिबंब है ये चित्तवृत्तियाँ प्रत्येक युग में बदलती रहती है , बदलती हुई चित्तवृत्तियों के साथ साहित्य परंपरा का सामंजस्य दिखाना ही इतिहास है।”
9. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी : – ” मानवीय प्रवृत्तियो की खोज इतिहास है।”
10. डॉ० बच्चन सिंह : – बच्चन जी ने कहा है कि ” अतीत की घटनाओं के कारण एवं वर्तमान में उनकी उपयोगिता का मूल्यांकन इतिहास है तथा साहित्यिक दृष्टि से इनका विश्लेषण साहित्येतिहास है।”

हिंदी साहित्य के इतिहास
हिंदी साहित्य के इतिहास की लेखन पद्धतियाँ
1. वर्णानुक्रम पद्धति – गार्सा द तासी
2 . कालानुक्रम पद्धति – ग्रियर्सन मिश्रबन्धु
3. वैज्ञानिक पद्धति – गणपति चंद्रगुप्त
4. विधेयवादी पद्धति – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
5 . आलोचनात्मक पद्धति – डॉ o रामकुमार वर्मा
1. वर्णानुक्रम पद्धति :-
वर्णमाला के वर्णों के अनुक्रम से रचनाकारो का परिचय देना , वर्णानुक्रम पद्धति है, यह पद्धति शब्दकोश की तरह होती है। ( सबसे प्राचीन व अमनोवैज्ञानिक पद्धति है । ) गार्सा द तासी ने अपने इतिहास ग्रंथ ” इस्त्वार द ला लितरेत्युर ऐंदुई – ए – ऐंदुस्तान ” में तथा शिवसिंह सेंगर ने ” शिवसिंह सरोज ” में इसी पद्धति का प्रयोग किया है।
2 . कालानुक्रम पद्धति : – काल + अनुक्रम
जन्म तिथि के आधार पर रचनाकारो का परिचय देना ग्रियर्सन ने अपने इतिहास ग्रंथ ” द मार्डन वर्नाक्युलर लिट्रेचर ऑफ हिंदुस्तान ” में इसी पद्धति का प्रयोग किया है।
3. वैज्ञानिक पद्धति : –
प्रवृत्तियों का विश्लेषण , भाषा के विकास क्रम को ध्यान में रखना रचनाकार पर युगीन परिस्थितियों का प्रभाव सबसे पहले प्रयोग – डॉo गणपति चंद्र गुप्त ने ” हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास” में किया।
4. विधेयवादी पद्धति : –
रचनाकारों का परिचय – – – -> कालानुक्रम पद्धति में होगा – – – > प्रवृत्तियों का विश्लेषण — – – > तुलनात्मक दृष्टिकोण ।
हिन्दी में प्रथम प्रयोगकर्ता – – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
जनक – तेन ( जाति , वातावरण , क्षण )
5 . आलोचनात्मक पद्धति : –
रचनाकारों व रचनाओं के परिचय से ज़्यादा रचनाओं के मूल्यांकन पर बल देना। रचनाकारों के परिचय के साथ – साथ शास्त्रीय मान्यताओं के आधार पर रचनाओं की समीक्षा करना। डॉ० रामकुमार वर्मा ने अपनी पुस्तक ” हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास ” ( 1938 ) में इस पद्धति का प्रयोग किया है।
प्रिय पाठकों मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको कैसी लगी कृपया comment द्वारा मुझे बताएं । मैं डॉ० मानवती निगम आगे आपके लिए इसी प्रकार के नोट्स लाती रहुँगी । यह नोट्स मैने कई पुस्तको को पढ़कर आपके लिए तैयार किए है। यदि आपको हिन्दी साहित्य से सम्बन्धित अधिक जानकारी चाहिए तो हमें e – mail व comment करके बताएं |
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