दोस्त व दोस्तों की दोस्ती की बात ही अलग है। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता जिससे हम अपनी हर बात शेयर कर सकते है। हम अपना दुख दर्द बाँट सकते है और दोस्त उसे समझ कर सलाह भी देते है। आज की गजल ‘दोस्ती की यादें’ दोस्तो के नाम है। इसे पढ़कर आपको अपने दोस्त की याद जरूर आएगा और आप उनसे मिलना भी चाहोगे।

दोस्ती की यादें
दोस्ती की वो यादें, आज शिद्दत से याद आती है ।
न जाने वो हसीं शोखियाँ, कम्बख्त कहाँ खो जाती है ॥
कोई तो लौटा दो, उन हसीं पलों के झरोखों को ....
सच में .... वो यादें बहुत याद आती है।
उन मुस्मुसाती यादों से , मुझे दिल्लगी करनी है
एक नज़र ही सही, बस मुझे मुलाकात करनी है ।
वो शबन मी एहसास, मेरी रूह को करने तो दो
सच में .... वो यादे बहुत याद आती हैं ।
वो बातों की अठखेली का, मंजर याद आता है
नश्तर चुभोने का वो प्यार भरा दर्द याद आता है।
उन खुशनुमा पलों की ,परछाई को छूने तो दो
सच मे ..... वे यादें बहुत याद आती है।
वो प्यार भरा गुदगुदा एहसास, आज बहुत याद आता है
वो झगड़ने प एक दूसरे को मनाना, बहुत याद आता है।
अपने इस अनमोल हीरे से, एक बार मिलने तो दो यारों .
सच में ..... वे यादें बहुत याद आती है।
वो हाथों में हार्थ डालकर चलने का नजारा याद आता है
छूने पर नर्म स्पर्श के जज़्बातों का फ़व्वारा याद आता है ।
मेरे बेबसी का इम्तेहान यूँ तो ना ला यारों
कुछ तो मेरी एहसासों की सरगोशी का मान रख लो
सच में .. . . वो यादें बहुत याद आती है।
............ सदफ़ इश्त्याक , आगरा
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